दादा बन गया.....….
मैं तो अब दादा बन गया
बूढ़े का सहारा मिल गया
अब किस बात का सोचना
दरिया पार करने वाले खवैया मिल गया
खुशियां का कोई ठिकाना नहीं रहा
जीवन का अब हर डर दूर हो गया
कट जायेगा अब राह आसानी से
साथ चलने के लिए साथी मिल गया
कठिन पल का अब कोई चिंता नहीं
ख्याल पूछने वाला जो अब मिल गया
गम और तन्हाई का पास जगह नहीं
खुशियां का जो अब पंख लग गया
परस्थिति मजबूर अब कैसे करेगी
जब मुझे सच्चा हमसफर मिल गया।
अब दुआ की मुझे कोई जरूरत नहीं
मैं दादा बना कि हर खुशी मिल गया।
©रूपक
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