बिमारी#श्रीमती अरुणा अग्रवाल, जी द्वारा खूबसूरत रचना#

नमन मंच,माता शारदे,
शीर्षक "बिमारी"
27।12।2021,
आज सब जगह है अफरा-तफरी,
संघर्ष,जद्दोजहद,तनाव-मानसिक,
गलत दिनचर्या,अनुशासनहीनता,
फलतः,"बिमारी"है फैला शनै,शनै।।


पाश्चात्य का अन्धानुकरण का फेर,
आवालवृदवनीता को करता ग्रसित,
शारीरिक,नैतिक,आध्यात्मिक,पतन,
नातिजातन है बिमारी का संख्या-इजाफा।।


कुण्ठाग्रसित,मनोभाव में सुमार,
कुदरत से छेडछाड़ भी,कयामत,
नतिजातन,वैश्विक महामारी,कोरोना,
फलाफूला खूब,जानमान का हानि।।


आज चिकित्सा-विज्ञान में भारत,
हो रहा अग्रणी,देखता उसे विश्व,
परन्तु यह भी सत्य कि बिमारी,
और बिमार-आकंड़ा बढ़ता,तमाल।।


विगत दो साल है सत्य का साक्ष्य,
कि प्रकृति से छेड़-छाड़,पेड़,कटाई,
कितना लाया,"बिमारी"संग,मृतक,
प्राचीन सभ्यता,संस्कृति है अपनाना।।


श्रीमती अरुणा अग्रवाल,
लोरमी,छःगः;

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