भास्कर सिंह माणिक,कोंच जी द्वारा वीर शिवाजी पर खूबसूरत रचना#कविता#

मंच को नमन

   जय जय वीर शिवाजी
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शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।
सारी दुनियां गाती तेरा ही यश गान।।
बचपन में किलेबंदी खेल खेलना प्रिय
तीर कमान तलवार लगता था भाला प्रिय
स्वतंत्रता के अमर पुजारी जग करता नमन तुम्हें
रामायण महाभारत भाया मन को पढ़ना था प्रिय
ध्वज केसरिया पूजक युद्ध कला सुजान।
शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।।
बने संस्थापक मराठा साम्राज्य के
स्वतंत्र कराए राजा अनेक राज्य के
रण में पानी मांगा तुमसे ही मुगलों ने
झुके नहीं इतिहास बने स्वराज्य के
शाहजी भोंसले जीजा बाई के पुत्र महान।
शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।।
चाणक्य विदुर के भाव भरे थे हृदय कूट-कूट कर।
सुन ललकार शिवा की दुश्मन रोया करते थे फूट-फूटकर
भारत मां का मान बढ़ाया छत्रपति का पहना ताज
औरंगजेब को सबक सिखाया सेनाओं को कूट-कूट कर
जब तक धरा गगन है होगा तेरा ही गुणगान।
शत शत नमन तुम्हें वीर शिवा महान।।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
                  भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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