प्रभात के पाँच दोहे
सुबह सुबह वंदन करो,लेलो माँ का नाम।
सकल दिवस सुंदर बने,बनते सारे काम।।
माता बैठी हंस पर,छेड़े वीणा तार।
शिक्षा पाता जग सकल,अनुपम है आधार।।
भाव पुष्प अर्पित करो, माता जी को नित्य।
प्रेम मात मिलता सकल,महिमा है यह सत्य।।
निश्छल पूजा नित करो,करिए सतत प्रणाम।
सारी बाधा जग मिटे,सार्थक होते काम।।
ओम कहे माता सुनो, दे दो माँ वरदान।
शब्द पुष्प अर्पित करूँ,पालित हो विधान।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
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