सादर समीक्षार्थ
विषय - हाय री मेरी तोंद
विधा - कविता
जीवन में बस हँसते रहना
नहीं किसी से कुछ भी कहना
तोंद अपनी बढ़ाते रहना
घटने इसको तुम मत देना ..।।
तोंद सुख - समृद्धि से मिलती
कवियों को पहचान दिलाती
जिसकी मोटी तोंद होती
वही कवियों की शान होती ..।।
मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि
की सीट इनकी, रिजर्व रहती
ये व्यक्तित्व में चार चाँद लगाती
कवि सम्मेलनों में सम्मान दिलाती.. ।।
ये रौबीला सा सदा है बनाती
आदर - सम्मान खूब दिलाती
तोंद की गाथा बड़ी विचित्र है
देव गणों के भी मन को भाती ..।।
तोंदिल अपने गणपति रहते
बिघ्न सभी के हैं हर लेते
प्रथम पूजनीय सदा कहलाते
रिद्धि - सिद्धि संग लिए चलते ..।।
तोंद सदा ही आनंद दिलाती
बरबस मुख पर हँसी छा जाती
दुःख सभी के दूर भगाती
सम्पन्नता का परिचय है देती ..।।
तोंदू जिससे भी बात हैं करते
आधा बल उसका हर लेते
हर महफ़िल में हैं छा जाते
सदा जीत का परचम फहराते ..।।
सदा जीत का परचम फहराते ..।।
डॉ . राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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