महात्मा बुद्ध का जीवन#वन्दना यादव 'ग़ज़ल'वाराणसी, जी द्वारा बेहतरीन रचना#


जन्म लिये 563 ई०पू, कपिलवस्तु के लुबिंनी गाँव,
शाक्य गणराज्य में, राजकुँवर के पड़े कोमल पाँव। 

पिता शुद्धोधन पाकर पुत्र रत्न, हुये बहुत निहाल,
जन्म के सातवें  दिन  माता मरी, भये बड़े बेहाल।  

मौसी  माँ  गौतमी  ने पाला,  नाम  दिया उन्हें सिद्धार्थ,
16 वर्ष ब्याहें गये, दंडपाणि सुकन्या यशोधरा के साथ।

29  वर्ष  की आयु में, हुआ  उन्हें जब  वैराग्य, 
गृह त्याग कहलाया, महाभिनिष्क्रमण अनुराग।

प्रथम गुरू आलारकलाम, सांख्य दर्शन दिया ज्ञान, 
उरूग्वेला में सिद्धार्थ को, पांच साधक मिले महान।

6 वर्ष  कठिन  तप  किया, तरणि  निरंजना  के कूल, 
ज्ञान प्राप्त सिद्धार्थ बने, गौतम बुद्ध भगवन अनुकूल।

प्रथम उपदेश धर्मचक्र प्रवर्तन, दिया सारनाथ काशी धाम, 
पाली में उपदेश दिया, कौशांबी, श्रावस्ती, कौशल देश नाम ।

बिंबसार, प्रसेनजित, उदयन, शासको ने किया प्रणाम,
80 वर्ष  में  बुद्ध ने, भोजन  कर  लिया  महापरिनिर्वाण। 

बौद्ध धर्म के विशद ज्ञान, पालि में "त्रिपिटक" कहलाते हैं,  
सुतपिटक, विनय पिटक, अभिधम्म पिटक इसमें आते हैं।

वन्दना यादव 'ग़ज़ल'
वाराणसी, यू० पी०
16/05/2022

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