प्रीति चौधरी"मनोरमा"#प्रीति चौधरी"मनोरमा" जी द्वारा अद्वितीय रचना#

नमन मंच-बदलाव मंच
विषय-महात्मा बुद्ध
 विधा-मुक्त छंद
शीर्षक - सरल नहीं है बुद्ध होना
सरल नहीं है बुद्ध होना 
दुर्गम है बुद्धत्व की राह
 करना पड़ता है गृहस्थ जीवन का परित्याग
 छोड़ना पड़ता है शारीरिक सुख को 
अध्यात्म की खोज में 
त्यागना पड़ता है राज महल का सुख
 विमुख होना पड़ता है अपने गृहस्थ जीवन के कर्तव्यों से
 घोटना पड़ता है अनुराग का गला
 स्वयं ही मुँह मोड़ना पड़ता है अपने ही पुत्र के आनन से
 सत्य की खोज में चलना पड़ता है  
अनवरत 
जंगल की पथरीली पगडंडियों पर 
पहनकर गेरुए वस्त्र विचार शून्य होना पड़ता है जगत की मोह माया से
 आसान नहीं है बुद्ध होना 
सम्यक व्यवहार अपनाना पड़ता है
 सुख-दुख का सामंजस्य करना पड़ता है।
सिद्धार्थ से बुद्ध यूँ ही नहीं बन जाता कोई
 अनुभव करना पड़ता है जगत की पीड़ा का
 समझना पड़ता है जीवन का मर्म स्वयं के ही सारथी चन्ना के द्वारा
संसार की क्षणिक खुशियों से 
परे
परम आनंद की खोज के लिए भटकना पड़ता है।
मानो नग्न पग शूलों पर चलना पड़ता है
 अति दुष्कर है बुद्धत्व की राह...।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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