प्रेषिका,श्रीमती अरुणा अग्रवाल, जी द्वारा मानव जीवन पर शानदार कविता#

नमन मंच,माता शारदे,
शीर्षक-"मानव जीवन"
22,05,2022
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मानव जीवन है बेशकीमती,
व्यर्थ में न हो बरबाद,व्यतित,
पूर्वजन्मका पुण्य से मिला,सुमन,
सो चहुंओर फैलाओ यश,कीर्ति-धन।।

सर्वगुणसम्पन्न हो व्यक्तित्व,आकर्षक,
नैतिकता,आध्यात्म,अनुशासन धारक,
सत्य,अहिंसा,समयानुवर्तिता,पालक,
जिसके बुते मिले कामियाबी-कुंजी।।

पूजा,अर्चना ओर सही दिनचर्या,
मेहनतकश स्वभाव से आप्लावन,
ज्ञान,विज्ञान,देशभक्ति का परिचायक,
समग्र विश्व हो जाऐ मजवूर,नतमस्तक।।

मनचला श्रीकृष्ण औ श्रीराम,
माता यशोदा,कुन्ति थीं उत्तम,
ये सब रहें हमारा प्रेरणा-अरुणिमा,
तब होगा जीवन-मानव सम मणि।।

बचपन से तयशुदा हो एक लक्ष्य,
शत प्रतिशत प्रयासरत हो पहुंचने,
समय हो अनुकूल या प्रतिकूल,
अड़िग रहो सदा,तब मिलेगा मंजिल।।

बिनु संघर्ष राम मिले ना माया,
गीता,रामायण,उपनिषद ने गाया,
माता,पिता,गुरूजन का हो सम्मान,
तब "मानव-जीवन"बनेगा सम वृन्दावन।।

प्रेषिका,श्रीमती अरुणा अग्रवाल,
लोरमी,जिला-मुगेंली,छःगः,

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