अपराजिता कुमारी'#बुद्ध पूर्णिमा#कविता#

आज दिनांक 16 मई
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाओं के साथ मेरी यह रचना
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  बुद्ध के बुद्धत्व की राह
पूर्णिमा के प्रकाश से
प्रकाशमान हुई पृथ्वी
अवतरित हुए पृथ्वी पर 
दिव्य पुण्य आत्मा, 

करुणा,दया,अहिंसा 
मुक्ति संयम शील
मोक्ष का मार्ग 
दिखाने धरा पर

सिद्धार्थ ,शुद्धोधन के प्यारे
लुंबिनी, कपिलवस्तु में जन्मे
जननी महामाया, 
पालिनी गौतमी के
 राज दुलारे,

गौतम गोत्र, शाक्य वंश,
छत्रिय,सनातनी,
भोग,विलास,वैभव,
राज ,सब त्यागे

सहचरी यशोधरा,
पुत्र राहुल के
मोह पाश मे भी 
न बंध पाए, 

जीवन की गुत्थियों में
उलझते,अपाहिज,
रोगी,वृद्ध,मृत,
राजपाठ उद्विग्न
इन्हें करते, 

छोड़ राजमहल,
चले वन को 
बेचैन,बेकल ,
निकल पड़े, 
जानने,जीवन 
सार सकल 

धरा,गगन,पहाड़,
समुंद्र घूंट घूंट ज्ञान,
योग आत्मबोध से भर 
बोधगया वटवृक्ष के
जड़ तक पहुंचे

पुनः पूर्णिमा के प्रकाश से
प्रकाशमान हुई पृथ्वी
बोधगया वटवृक्ष की 
जड़ों में ध्यान मग्न सिद्धार्थ
बुद्धत्व प्राप्त कर बुद्ध हुए

विश्व प्रकाशमान हुआ
बुद्ध के संदेश
बुद्ध के दर्शन, 
बुद्ध की वाणी से

बुद्ध अवतरित हुए 
जीवन शुद्ध करने को 
धर्म की राह चलने को
शुद्ध, सत्य, सत्कर्म
के मार्ग पर चलने को 

विश्व बुद्ध की राह चलें ,
जीवन विशुद्ध करने को
हम भी बुद्ध की राह चले
जीवन शुद्ध करने को

बुद्धम् शरणम् गच्छामि
धम्मं शरणम् गच्छामि
संधम शरणम् गच्छामि...

 स्वरचित मौलिक अप्रकाशित     
अपराजिता कुमारी
पटना बिहार

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