निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा खूबसूरत रचना#सुबह शाम#

सुबह शाम.........
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सुबह शाम~
प्रभु की हो शरण
आठों ही याम
एक प्रार्थना~
कोई नही हो दुःखी
मेरी भावना
नेक हो कर्म~
माँ बाप की हो सेवा
यही हो धर्म
राग न द्वेष~
मिट जाये मन के
सारे क्लेश
शुद्घ हो हास~
ख़ुशनुमा माहौल
हो  परिहास
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान

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