मालिनी त्रिवेदी पाठक जी द्वारा विषय अंतराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर खूबसूरत रचना#

18 मई

*अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस*

छोटे-बड़े अद्भुत संग्रहालय,
शिक्षा से समृद्ध ज्ञानालय।
 
बसी इनमें पुरखों की 
कितनी ही स्मृतियाँ अनमोल,
जीवंत इतनी कि फूट पड़ेंगे,
इतिहास के सब सच्चे बोल।

जीव-जातियॉं जो हो गईं लुप्त,
अंधेरे में जो पड़ी सुषुप्त,
संग्रहालय में हुई सुरक्षित,
रसायन से मृत देह रक्षित।

भव्य पुरातन सभ्यता- संस्कार,
प्राचीन सिक्के अर्थ व्यवहार,
पांडुलिपियों में संदेश- विचार,
हीरे मोती जड़े वस्त्रालंकार,
राजा-महाराजाओं के शस्त्रागार।
द्रष्टिगोचर होता यहाँ,
दुर्लभ सा जादुई संसार।

संग्रहालयों की लो मुलाकात,
निर्जीव नहीं, सजीव मान कर,
कर लो वस्तुओं से दो बात।
निश्चित ही जुड़ जाएंगे,
संस्कृति से अपने तार।

संग्रहालयों की रक्षा करना,
है अपनी भी जिम्मेदारी,
गौरवशाली इतिहास जान कर,
भविष्य संवारने की अब है बारी।

 मालिनी त्रिवेदी पाठक
      वडोदरा

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