बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय : मुक्त
विधा:- काव्यात्मक कहानी
दिनांक :- 23;06;2020
दिन :- मंगलवार
‘’तुम पर मुझको गर्व है,,’’
याद हैं तुमको जब
मैं ऑफिस से शाम
वापिस घर पर आती थी,,,,
मां-मां कर किलकारी भर भर
गोद में तुम चढ़ जाती थी,,,
घंटों तोतली बोली में न जाने
कितना क्या कुछ कह जाती थी,,,
अपने दिल की हर बात कहना
कभी मन हल्का करने को रोना
दिल की बात न छुपाती थी,,,,
मेहनत से ज़रा न घबराती थी,,,
काम में मेरा हाथ बटाती थी,,,
पापा से मेरी झडप हो तो
मां मेरी बन मुझको ही समझाती थी;;;
पल-पल बढ़ती देख तुझे
मन मेरा पुलकित होता था,,,
अपना सा प्रतिबिंब बनते देख
तुझे, मन मेरा हर्षित होता था,,,
दूर तेरे जाने की कल्पना कर
मेरा मन ज़ार-ज़ार इतना रोता,,,,
तेरे बिन जिंदगी की कल्पना से
आंखों से झरता पानी सा सोता,,,,
बिटिया को स्वावलंबी बनाने का
जीवन का एक ही सपना था,,,,
दूर ही सही पर जीवन में दिल के
तारों से बंधा कोई तो अपना था,,,
पढ़-लिखकर तुमने किया
सभी सपनों को मेरे साकार,,,,
अपने जीवन ही राह चुनने का
तुमको मिला था पूरा अधिकार,,,
आज़ादी का लाभ उठाकर,
किया न कोई गलत काम,,,
खुद को साबित करके ही
लिया था तुमने पूर्ण विराम,,,
तुम्हारे आत्मनिर्भर बनने का
मना रहे हम मिलकर पर्व हैं,,
मेरी प्यारी लाड़ली विटिया
तुम पर मुझको गर्व हैं ;;;;
अंजली खेर – 9425810540
सी-206, जीवन विहार
अन्नपूर्णा बिल्डिंग के पास
पी एंड टी चौराहा, कोटरा रोड़
भोपाल – 462 003
म;प्र;
5 टिप्पणियाँ
Meri mithi mithi munniya...🤗👌
जवाब देंहटाएंWahhh Anjli Superr
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंVery touchy
जवाब देंहटाएंVry admirable....Bhabhi express vry sweet feeling of mother
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