धर्मनिरपेक्षता :-धर्म या लोकतंत्र की दृष्टि में

:-बदलाव मंच
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दिनांक-19-6-2020

दिवस -शुक्रवार

विधा -गद्य

विषय -धर्मनिरपेक्षता :-धर्म या लोकतंत्र की दृष्टि में 
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धर्म निरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य राजनीति या किसी गैर धार्मिक मामले से धर्म को दूर रखें तथा सरकार धर्म के आधार पर किसी से कोई भेदभाव न करे |धर्म निरपेक्ष राज्य में उस व्यक्ति का भी सम्मान होता है जो किसी भी धर्म को नही मानता है | 

                  हमारे संविधान में धर्म निरपेक्षताको  आदर्श के रूप में दर्शाया गया है |जिससे कोई भी राज्य किसी भी धर्म विशेष को राज्य के धर्म के रूप में घोषित नही करेगा | किसी भी नागरिक के साथ धार्मिक आधार पर भेदभाव नही किया जाएगा अर्थात जो सभी धर्मों के प्रति तटस्थता और निष्पक्षता का भाव रखता है |

             भारतीय संविधान की कई धाराओं में धर्मनिरपेक्षता का भाव परिलक्षित होता है धारा 14 के अंतर्गत  कानून की नजर में सभी एक समान होंगे | धारा 15 के अंर्तगत जाति ,नस्ल, लिंगऔर जन्मस्थल के आधार पर भेदभाव पाबन्दी तथा धारा 16 के अंर्तगत सार्वजनिक रोजगार के क्षेत्र में सबको एक समान अवसर प्रदान कराये जाएंगे | 
       
             भारतीय संविधान दुनिया का सबसे धर्म निरपेक्ष संविधान है |पहले इसके निर्माताओ ने धर्म निरपेक्षता शब्द को शामिल नही किया था लेकिन आपातकाल के दौरान 1976 में संविधान की प्रस्तावना में धर्म निरपेक्ष शब्द को शामिल किया गया | 
 
                  लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ लोगो का शासन अर्थात जनता का शासन |  अर्थात एक ऐसी शासन व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनो के लिए प्रयुक्त होता है |  
            
                    संविधान, कानून,सरकारें स्वतन्त्रता को संरक्षितऔर सुरक्षित रखने के लिये है इसलिए लोकतंत्र की मूल भावना स्वतन्त्रता को समाहित किया गया है |




कल्पना भदौरिया"स्वप्निल"
अध्यापिका
बेसिक विभाग 
जनपद -हरदोई
उत्तरप्रदेश
7007821513

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