लघुकथा बदलते रिश्ते

दिनांक- 11/06/2020

दिन- बृहस्पतिवार

विषय- *बदलते रिश्ते*

विधा- लघुकथा

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ट्रिन ट्रिन..........! माँ देख तो.....किसका फोन है ?

और किसका होगा , तेरे स्वार्थी भाई का होगा ।  अब तू एम एल ए हो गया है ना ! कल से दस बार फोन कर चुका है कि "छोटू को बोल थोड़ा सिफारिश कर दे । मेरे बेटा को इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला के लिए आवासीय प्रमाण पत्र माँग रहा है । कर्मचारी कह रहा है कि तीन महीना लग जायेगा तैयार होने में । तब तक दाखिला का समय बीत चुका रहेगा " ।

छोटू --- माँ बोल दे भैया को कल तक तैयार हो जायेगा ।


छोटू तीन भाइयों में सबसे छोटा था । घर का कोई भी काम हो जैसे - सब्जी लाना , आटा पिसवाना , गैस सलेन्डर का नम्बर लगाना तथा अनेक छोटे -बड़े काम....सब कहता --छोटू है ना , कर लेगा । नतीजा दोनों बड़े भाई पढ़ लिखकर अच्छा नौकरी पा लिया किन्तु छोटू पढ़ाई में हमेशा कमजोर रहा , किसी तरह बी ए पास कर लिया पर नौकरी न पा सका । माँ - बाप की सेवा में लगा रहा छोटू ।


पिता की मौत के तुरंत बाद भाइयों ने पिता के बैंक बैलेंस को तीन हिस्सों में बाँट अपना -अपना हिस्सा ले लिया ।  भाईयों ने क्रिया -कर्म पर करने वाला खर्च बकवास बताया । ऐसे में छोटू अपने हिस्से के रुपयों से पिता का क्रिया -कर्म गाँव के अन्य लोगों के तरह करवाया । फ़िर भाइयों ने जमीन के भी हिस्से करवा लिए । आर्थिक रूप से छोटू कमजोर हो गया था किंतु अपनी माँ का ध्यान रखने में कोई कमी न रखता था । छोटू को किताबी ज्ञान अवश्य कम था किंतु परिस्थिति उसे परिपक्व बना दिया था । गाँव वालों की पूर्ण सहानुभूति उसके साथ थी । लोगों के सहयोग से वह इलेक्शन में खड़ा हुआ और जीतता गया । आज एम एल ए है । सामाजिक प्रतिष्ठा है उसकी । कुछ रिश्तेदार गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले होते हैं जिन्हें रिश्ते जोड़ने और तोड़ने में वक्त नहीं लगता । भाइयों को भी आज छोटू की ज़रूरत आन पड़ी है । वे लोग अपने किये पर पछता रहे हैं । पुनः छोटू से अच्छा सम्बन्ध चाहते हैं लेकिन माँ अपना निर्णय सुना चुकी है कि छोटू बड़े जैसा कर्तव्य किया है । अतः मेरा चौथा हिस्सा छोटू को मिलेगा और मुझे मुखाग्नि भी छोटू ही देगा ।


प्रतिभा स्मृति 

दरभंगा (बिहार )



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