सासू जी

नाम  -मईनुदीन कोहरी (बीकानेर )
राज्य- राजस्थान
विषय - सासू  मिली समझदार
 विधा -कविता

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    शीर्षक :-  सासू जी

सासू जी  जिसकी भी  हो अगर  समझदार  ।
उस घर - परिवार को मिले खुशियाँ बेशुमार ।।

सासू अपने अनुभवों से गर बहूओं को परोटे ।
घर की  बात  न जाए , कभी भी घर से  पार ।।

बहू  के कामकाज को सासू जी निरखे - परखे ।
 बहू की निन्दा सास न करे तो घर मे बरसे प्यार ।।

 जिस घर  में ताना - कशी  बहुओं पर न  हो ।
वह सास - बहू घर को बसाने मे है समझदार।।

सास है जिस घर मे ,बहूु बसने की है आस ।
देवरानी - जेठानी की टल जाती है तकरार ।।

सास लड़के  की हो या चाहे हो लड्की की ।
ससुराल की शोभा जब हो सास समझदार ।।

दामाद को तब ही ससुराल मे मिले सम्मान ।
जिसके ससुराल मे सास, उसे मिले सत्कार ।।

सास भी कभी बहू थी ,की  समझ से ही हो ।
वो  खुशियों से भर जाए , पुरा घर - परिवार ।।

सास को समझे बहू , बहू को समझे गर सास ।
उस घर - ससुराल मे, सौ सुख- खुशियाँ हजार ।।

रोज की  किच -किच  से  बच  जाए घर-संसार ।
गर उस घर की  सास  - बहु  हो जाए समझदार ।।

खुला-दिमाग - अच्छी - सोच की हो घर की सास  ।
उस  घर की  बहुओं को , मिले  बेटी  जैसा  प्यार ।।

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रचनाकार :-मईनुदीन कोहरी 
" नाचीज बीकानेरी "
स्वरचित / मौलिक /अप्रकाशित
मो:- 9680868028

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