बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय = मुक्तक
विधा = काव्यात्मक कथा
दिनांक = 26 जून 2020
दिन =शुक्रवार
शीर्षक =तकदीर की लिखावट
मंजिलें दूर कहीं दिखती हैं
जहांँ अभी तक पहुंँच नहीं सकी
हूंँ मैं|
कहते हैं तकदीर किसी के हाथ में
नहीं होती है
पर विश्वास ही होता है जो
तकदीर बदल देता है|
कुछ लोगों को घमंड अपनी
तकदीर पर होता है जो दूसरों को
पैसों से नीचा दिखाते हैं|
और भगवान के दिए उपहार को
भूल जाते हैं|
भगवान जब देता है,
छप्पर फाड़ के देता है
फिर तकदीर के हाथों ही
कोई अमीर से फकीर बन जाता
है|
कोई गरीब से फिर अमीर
कहलाता है|
मैंने जीवन में परिश्रम बहुत
किया है
पर परिणाम मुझे संतोषजनक
नहीं मिला है |
जीवन के हर मोड़ पर दुख ज्यादा
और सुख कम देखा है
मुसीबत की घड़ी में थोड़ा
परेशान होकर सोचती हूंँ|
कि भगवान मेरी परीक्षा ले रहा है
और दुख बीत जाने के बाद में
अपने आप को मजबूत महसूस
करने लगती हूंँ|
सफल होने पर लोग जलते
ज्यादा हैं
और खुश कम होते हैं|
अच्छाई को मेरी दिखावा समझ
लेते हैं,
पर बुराई में लोग क्या खुद को
कम समझते हैं|
अपनी इच्छाओं को सिर्फ
जरूरत पड़ने पर ही जताती हूंँ
और परिवार में किसी को अपनी
इच्छा के कारण कष्ट नहीं
पहुंँचाती हूंँ|
कभी किसी के आगे अपने
जीवन का परिचय नहीं दे पाती
हूंँ
और अपनी मुस्कुराहट से ही
अपने सारे दुख छुपा जाती हूंँ|
लोगों से अक्सर मुलाकातों मे
अपने जीवन का संघर्ष छुपाती
हूंँ|
और बस जीवन में भगवान का
नाम लेकर,
मेहनत ही करते जाती हूंँ|
मेहनत ही करते जाती हूंँ|
नाम =पूजा सैनी
पता= नई दिल्ली
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