मेरे पापा, सौ शारदा मालपाणी जी की रचना

🖋️🌹मेरे पापा 

मेरे पापा बहुत प्यारे ओर न्यारे थे
 बहुत मेहनती ओर थे  स्वाभिमानी
 उनसेही बना हमारा जीवन सुखकर 
लेकिन नहीं थे  वह अभिमानी ।

 मेरी हर जीद वह पुरी करते थे
 जीवन मे था त्याग और समर्पण
 कर्तव्य पूर्ती के लिए हमेशा आगे निष्कपट मन था जैसे कोई दर्पण।

 वक्त के पाबंद एवं  शिस्तप्रिय थे
 हमलोग  उनसे बहूत डरते थे 
अगर अच्छा काम किया तो फिर
  प्यार भी उतना ही वह करते थे।

उपरसे कडक अंदरसे कोमल मन था 
  उनसेही मिली जीवनको नयी  दृष्टी 
जीवनको परिपूर्ण बनाया उन्होंने  संस्कारोसे मिली सृजन की सृष्टी ।

 अब पापा नही है इस दुनिया में  शाबासकीसे पीठ थपथपानेको  कंटककी  तरह चुभता यह दुख
नहीं रहे वो अब आँसू पोछनेको।

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*🖋️🌹सौ शारदा मालपाणी*
*(काव्य शारदा )©️®️*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*

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