कविता-योग दिवस

*_कविता-योग दिवस_*

सब मिल चलो हम ऐसा करें जतन, 
निरोग पूर्ण बने  यह  अपना  वतन।


मन मस्तिष्क की क्या दशा तुम्हारी।
जीवन की  क्या रही दिशा तुम्हारी।।
सीना देखो बाहर करते जाता अंदर।
कम खाया करो पेट बन गया समंदर।।
भोजन के बाद टहलना करें पद्मासन।
 निरोग पूर्ण बने यह अपना वतन।।

बाहुबली सी बनी भुजा तुम्हारी।
हाथी जैसी हो गई गर्दन तुम्हारी।।
टीवी देखकर तो तुम स्वस्थ रहो।
जाग उठेगी फिर चेतना तुम्हारी।।
देखकर करो कुछ तो करों वरन।
निरोग पूर्ण बने यह अपना वतन।।

बीमारियां का आया है प्रकोप।
जैसे चलने लगी रोग की तोप।।
भीषण संकट के बादल छाए है।
21 जून को योग दिवस लाएं है।।
ऐसा सब मिल चलो करें मनन।
निरोग पूर्ण बने यह अपना वतन।।

शांति रूपी यह काया निरोग रहे।
योगा करो तो जीवन संजोग रहे।।
पल पल मुस्कुराते रहो परिवार में।
हंसता खेलता सूरज बनो संसार मे।।
दिनचर्या का पालन कर करें शयन।
निरोग पूर्ण बने यह अपना वतन।।
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_कवि कृष्णा सेन्दल तेजस्वी_
 _राजगढ़ {धार} मप्र_
_8435440223, 7987008709_

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