मुक्तक,भास्कर सिंह माणिक

मुक्तक-   

मन को विमल बनाओ आकाश तो करो
पुर्णेन्द्र भी खिलेगा विश्वास तो करो
गंगा स्वमेव आ जाएगी फिर से काट पात्र में
श्रद्धा भक्ति लगन को रैदास तो करो
------------------------------
तुम आस्था के दीप जलाओ तो जानूं
दिली कालिख को मिटाओ तो जानूं
अपनों की चाहत तो सब किया करते
आप गैरों को अपना बनाओ तो जांनू
---------------------------------
मैं घोषणा करता हूं कि यह दोनों मुक्तक मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ओज (कवि एवं समीक्षक)
कोंच,जनपद -जालौन,उत्तर -प्रदेश-285205
मोबाइल नंबर-9936505493

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ