मेरे पापा, मुक्तक

मेरे पापा
मंजिल दूर है और सफर बहुत है,
अपने जीवन की फिकर बहुत है,
कबका खा डालतो दुनियाँ मुझे,
लेकिन!पापा के पयार मे असर बहुत है।
        Happy father's  day
                     Uday jha

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