सावन मे लग गई आग

            ये किस उम्र की भागमभाग
            अरमानों का होंठो पर राग

सुनो सावन में लग गई आग ये किसने रास रचाया
होओ ,होओ ,होओ
चंचल मन हैं मेरा लुका -छिपी में बड़ा मजा आया
होओ, होओ, होओ


देख पड़ौसन द्वार पे तूने मिलने को पास बुलाया
दीदार देकर तूने अँखियों की मेरी प्यास बढ़ाया
ओ दीवानी ओ दीवानी कुछ तो बोल तू दर खोल
सुनो सावन में लग गई आग ये किसने रास रचाया।
होओ, होओ,होओ

आग लगाके तन-मन में तूने ऐसे मुखड़ा छिपाया
मिलन का बहाना बना के तूने मन का राग सुनाया
मैं हूँ तेरा,मैं हूँ तेरा दीवाना खोल ना तू कोई पोल
सुनो सावन में लग गई आग ये किसने रास रचाया।
होओ,होओ,होओ

चेन कही भी देखो दोनों ने फिर भी तो नहीं पाया
मेरी हसरत जगा के मजा जरा उसको भी आया
मैं राही अलबेला,प्यासा भी तेरा ही हूँ अब बोल
सुनो सावन में लग गई आग ये किसने रास रचाया।
होओ,होओ,होओ

सुबह बुलाया ना पड़ौसन ने शाम को भी ना बुलाया
जलवा, जलवा उसका जान जलाए और ज्यादा
ये क्या माजरा हैं "नीतू" तेरा नहीं हैं कोई भी रोल
सुनो सावन में लग गई आग ये किसने रास रचाया।
होओ,होओ,होओ

               नीतू राठौर भोपाल से

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