धड़कन

सम्माननीय ,संपादक जी को                        
सादर नमन

रचना का शीर्षक - धड़कन

हम  फौजी  इस  देश  की  धड़कन है
हम तोड़ते जटिल से भी जटिल बंधन है

हम  लड़ते  अपने  राष्ट्र  शौर्य  हित
हम भूल से भी न करते अनाधिकृत
हमें    राह    छोड़ते   देख   बवंडर
हम  रखते  हैं सत्य  अहिंसा  का वृत

निडर   को  मार्ग  छोड़ती  अड़चन है
हम  फौजी  इस  देश  की  धड़कन है

कश्मीर   से    लेकर   कन्याकुमारी
महक   रही  है  आलोकिक फुलवारी
इस   पर  आंच  कभी  ना  आने देंगे
है  देश   की  माटी  प्राणों  से प्यारी


हम  तन  मन धन सब करते अर्पन हैं
हम   फौजी  इस  देश  की धड़कन  है

दुश्मन    हमसे   प्राण   दान  मांगते
सुन   ललकार  पीठ   दिखा  भागते
हम   अंधियिरों  में  भी  दीप जलाते
हम  रण में  भी  अपना  ध्वज  लहराते

सूरज  चांद  सितारे  भी  करते वंदन  है
हम   फौजी  इस   देश  की   धड़कन  है
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक अप्रकाशित एवं प्रसारित है। अन्यत्र विचाराधीन नहीं है।
भास्कर सिंह माणिक  ( ओजकवि एवं समीक्षक) कोंच, जनपद- जालौन, उत्तर -प्रदेश-285205
मोबाइल नंबर -9936 50 5493

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