फौलाद भरा हैं सीने में
हैं प्रेम,स्नेह,समर्पण इसमें।
वीरता से ओत-प्रोत ये,
माँ, बहनों की शक्ति इसमें।
क्या घबराना,क्या शर्माना,
यूँ छप्पन एप्प बिना कमजोर नहीं ये।
यूँ ही स्वयं बना लेंगे हम,
मनस्वी,बुद्धिमत्ता से लैस बहुत ये।
क्या घर में ठेकेदार नही,
जो दावेदार बना चीनी ठेकेदार।
ये बाते समझ न आई हमकों,
जो आज आई है, गोली खाके।
क्यू आश्रित थे उनके ऊपर?
क्या तकनीकी परीक्षण नही यहाँ पर?
क्या उबाल खून का नरम पड़ा जो,
खौल उठा है खून बहाकर।
खुद के बाहुबल पर करो भरोसा,
साथ मिलेगा सब जन-मन का।
लोकल को ही वोकल बनाओ,
यही अटल विस्वास हमारा।
हो गए अचंभित जगत के लोग,
जब शून्य आ गया प्रथम हमारा।
हम पुनः अचंभित कर देंगे,
करे संगठन एकत्व हमारा।
पुनः बनेगा मिशाल ये भारत,
जब चमकेगा भाल हमारा।
नाम-सोनम कुमारी
राज्य-झारखंड
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