सावन आए या जाए

बदलाव अंतराष्ट्रीय-रा.
सप्ताहिक पत्तियोगिता
शीर्षक: "सावन आए या जाए"
बिषय: कविता
तारिक : 8/7/2020

तेरे बातो को मैं दिल से ना लगाऊँगा।
तू जितना भी बोल ले चाहे छोड़कर ना जाऊंगा।
अरे सावन आए या जाए इससे क्या लेना मुझको।
मैं तो बन बद्री प्यार की पूरे वर्ष छा जाऊँगा।

जो बोल दे तो सिमट जाऊँ मैं तेरे बाँहो में आकर।
चौबीसों घण्टे गुनगुनाऊ मन में तुझको मैं पाकर।
किसी और से मुझको को और क्या लेना देना
मैं तो चुपके से आकर तेरे कान में प्रेम रस घोल जाऊँगा। 

कहकर देखो तुमको मुझसे जो भी हो कहना।
मुझको तो हर हाल में तेरे संग ही रहना।
महफ़िल की चाहत नही जरा सा मुझको।
सच में मैं तेरे साथ मे कही भी रह जाऊँगा।

मम्मी पापा के बाद तुझको ही अपना बनाऊँ।
घण्टे घण्टे पे खोज खबर ऑफिस से ही पाऊँ।
सुकून से अंतिम छण सोचकर अपना तू इरादा कह दे
मैं  तो हर हाल में हर बात में ही मान जाऊँगा।

प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार

Badlavmanch

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ