कैसा खुमार

शीर्षक -कैसा खुमार


बेकरारी कैसी ये छाई है ?
खुशियों ने तोरण सजाई है।
सजन से मिलन की 
घड़ी सज आई है ।

दिल तितली सा इतराता
मन जवाँ फूल बन महकता ।
आनंदघन बरसाने को ,
मेघ देखो घूमड़ता ।।

सजनी हमसफर से मिलने 
को देखो कितना बौराई है ।
सृष्टि संग -संग चहकती ,
कोयल ने मधुर तान सुनाई है।।

गोरी की पायल रुमझुम करती ,
अपने हमसफर को रिझाती ।
देखो खुमारी कैसी छाई है?
मिलन-अमृतवेला ने आनंदघन बरसाई है!

अंशु प्रिया अग्रवाल 
मस्कट ओमान

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