सावन महीना

सावन महीना 

सावन महीने भोले धरती पे आये,
नंदी सवारी लिये मन्दिर में धाये !
छमछमाछम पैरों से घुंघरू बजाये,
घुंघरू की धुन पर मन में समाए !
भक्तिभावी हृदय को अपना बनाये ,
गौरारानी की गोदी में गणपति लाये !
अनूप छवि कोटि दिनकर भी लजाये,
सावन महीने भोले धरती पे आये!!

गौरी के संग भोले बाबा रास रचाये,
 तपस्या से उमा ने अनूठे सजन पाये!
भर भर प्याले देखो भांग के चढाये ,
उमा की गोरी हथेलियों पे मेंहदी रचायें !
सोलह सिंगार सजै भोले के मन भाये,
त्रिनेत्र मदनारि अन्तर्यामी कहलाये !
अलौकिल छवि जन निरखन को आये,
सावन महीने भोले धरती पर आये!!

आस्था श्रद्धा से मिलते दिव्य दर्शन,
त्रिपुरारी को जग में प्यारा लागे सावन!
जल फूलपत्र से आशुतोष हैं मुदित मन,
इहलोक परलोक में ऐश्वर्य परम धन!
भक्ति मुक्ति देवै निहाल करें तनमन!
प्रेम भाव से करें प्राणी जो समर्पण,
षडविकारों पर विजय वही पाये !
सावन महीने भोले धरती पे आये!!

✍ सीमा गर्ग मंजरी
 मेरी स्वरचित रचना
 मेरठ
सर्वाधिकार सुरक्षित @

Badlavmanch

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