बदलाव मंच सचिव अमित राज जी के कलम से



सच होंगे जो हमने देखे हैं ख्वाब,
सबको आएगा नजर एक दिन बदलाव।

जिनके हृदय में है प्रेम भरा, प्यारा लगे साहित्य समाज,
जला रखा है दीपक उन्होंने, पर क्यों अंधेरों में बैठे हैं आज।
जागो सभी अब मत हो उदास, हमने जलाया है देखो अलाव,
तुम्हें लायेंगे दुनिया की नजरों में हम, साहित्य से अगर है थोड़ा लगाव।
सब मिलके बढ़ें तो, सच होंगे जो हमने देखे हैं ख्वाब।
देखोगे तुम भी, सबको आएगा नजर एक दिन बदलाव।

घबरायें नहीं, हारें न हिम्मत, जिन्होंने किया है अभी आगाज,
होगी सफर भले काँटों वाली, एक दिन मिलेगा उनको भी ताज।
जिन्होंने उठायी है आज कलम, लिखेंगे वही कल कुछ लाजबाब,
जो हैं कहीं गुम अभी तक, होंगे कल वो भी नबाब।
सब मिलके बढ़ें तो, सच होंगे जो हमने देखे हैं ख्वाब।
देखोगे तुम भी, सबको आएगा नजर एक दिन बदलाव।


बढ़ते चलें हम निरंतर, डराए न हमको कोई भी क्लेश,
खिलेगा कमल कीचड़ों में भी जब, साथ हमारे हों कमलेश।
चाहे आये तूफान बवंडर या आये कोई सैलाब,
रुकेंगे न अब हम, पूरी बसुधा पे हो फैलाव।
सब मिलके बढ़ें तो, सच होंगे जो हमने देखे हैं ख्वाब।
देखोगे तुम भी, सबको आएगा नजर एक दिन बदलाव।

है अभिलाषा अमित की यही, न है कोई राज,*
बदले विचारों से आयो सभी, हम मिल के बदलें समाज।
सम्मान रहे जाति, धर्म और भाषा की, न हो कभी टकराव,
सौहाद्रपूर्ण रखें अपना व्यवहार, यही सदा है मेरा सुझाव।
सब मिलके बढ़ें तो, सच होंगे जो हमने देखे हैं ख्वाब।
देखोगे तुम भी, सबको आएगा नजर एक दिन बदलाव।

-अमित राज,
नालन्दा, बिहार
सचिव, बदलाव मंच

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