कवि प्रकाश कुमार जी द्वारा 'की मेरे दिन फेर दे' विषय पर सुंदर रचना

बदलाव मंच 

स्वरचित रचना

25/8/2020

भजन 
की मेरे दिन फेर दे

ब्रिज के नटखट गोपाल
 मोहे दिन फेर दे।
सुनले रे अलबेली सरकार।
मोहे दिन फेर दे।।

मै बावला अब कोई
 दूजा दरबार ना जाऊ।
दुनियाँ से कुछ ना लेना
 तेरे चरणों मे ही रज जाऊ।।
भूल से तुझ बिन जीने का 
ना आए इक पल विचार।।

बंसी की धुन
 सुनाते रहियों।
प्रेम की मधुर रस
 पिलाते रहियों।।
कर दियो मोह 
को बेरा पार।

तोह से नाता मोहे
 जन्म जन्म को।
मैं भी वाशिंदा।
तेरे गलीयन को।।
कर दे मोह पर 
भी ये उपकार।।

बेरहम दुनियाँ
 बहुत सताए।
मिट्टी पत्थर को 
आभूषण बताये।।
 ना आता किसी को
 करना अच्छा व्यवहार।।

प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार

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