कवयित्री सुनीता जायसवाल जी द्वारा 'आजाद भारत' विषय पर कविता

नमन कलमरथ
 याद करो कुर्बानी 2020 
विषय -आजाद भारत
 दिनांक- 15 -8- 2020 
विधा कविता 

आने वाले कल के लिए ,
एक स्वर्णिम इबारत खोजती हूं ,
मैं अपने सपनों में अक्सर ,
'आजाद भारत 'खोजती हूं!

 जहां चीरहरण ना होने पाए ,
भरी सभा मैं द्रोपदी का,
 नारी लाज बचाये जो,
' कृष्ण' वाला भारत खोजती हूं 

आंखें नम हो जाती हैं बरबस,
 जब नौनिहाल भूखे सो जाते हैं,
 घर-घर में जलते चूल्हे की ,
'आग 'वाला भारत खोजती हूं!

 क्यों भटकता है सत्य यहां ,
बरसों बरस अदालत में ,
क्षण भर में असत्य को धूल कर दे ,
वह न्याय वाला भारत खोजती हूं!

 अंदर की कच्ची दीवारें हो तो,
 बाहर के झटको से गिर जाती है
' तूफानों 'को जो औकात दिखा दे ,
वह' हुंकार' वाला भारत खोजती हूं!

 जब कोई तन ना नंगा हो ,
जब कोई पेट ना भूखा हो ,
सम्मान से भरकर जीने वाला,
 मैं 'आजाद भारत 'खोजती हूं !


सुनीता जायसवाल अयोध्या फैजाबाद उत्तर प्रदेश

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