दरिया में
डूब गया वक़्त के दरिया में
खूब गया रक़्त के दरिया में
वज़ूद बचाना लाज़िम था
खुद हूँ विरक्त के दरिया में
प्यास है मेरी सागर जैसी
रहा हूँ आसक्त के दरिया में
इलज़ाम तो आया है मुझपे
गलत या फ़क्त' के दरिया में (सही)
छोड़ दिया हालात के ऊपर
चाहे जैसा सख़्त के दरिया में
चाँद भी गिरवी हो गया है
देखो तो नक्त' के दरिया में (रात)
आग लगी दश्त' के दरिया में (जंगल)
'उड़ता'रहा तख़्त के दरिया में
स्वरचित मौलिक रचना
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर - 124103 (हरियाणा)
संपर्क +91-9466865227
udtasonu2003@gmail.com
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