प्रगतिशील जीवन उद्देश्य

🌾प्रगतिशील जीवन उद्देश्य 🌾
*************************

सकारात्मक सोच सरस सुख देने वाला ,
प्रगतिशील  जीवन उद्देश्य हितकारी  है।
नैतिक शिक्षा बीच जन-जन निमग्न रहे ,
वैचारिक   भाव   अनूप  अभय कारी  है ।
अध्यात्म अनूठा भाव भक्ति भगवान का ,
सम्बल ,सहारा  ही  सुगम  सिध्दी कारी  है ।
जन-मन जागृत  कर  देने वाला मृदु वचन ,
सचमुच "कवि बाबूराम " कल्याण कारी है ।

भावी कर्णधार युवाओं देश व भविष्य के ,
संत नेता कवि लेखक  एक तो हो जाइये।
सुखशान्ति अक्षुण्णआर्यावर्त में आबाद हो,
सुजनता  आलोक  चहुं  दिश फैलाइये ।
अपना हिन्दुस्थान व राष्टृभाषा हिन्दी को ,
सब  जन  हँस  गले  प्यार   से लगाइये।
भेद-भाव छोड़ टकराव "कवि बाबूराम "
प्यार   भरा   एक   संसार   शुभ  बनाइये ।

मानव सनातन धर्म ध्येय हो सबहीका,
राष्टृ   धर्म  मानवता  मर्म   में समाइये ।
भूले-भटके गिरे हुए अपने भाईयो को ,
प्यार  सदाचार  से  सम्हार  के उठाइये ।
चित हर लेवे सबका आपसी भाईचारा ,
चाह  चिन्ता  छोड़ कदम आगे बढा़इये ।
सर्वत्र उध्धम प्रगति में " कवि बाबूराम "
जन - जन सुख में ही  स्वयं सुख पाइये ।

*************************
बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज ( बिहार )841508
मो0नं0 - 9572105032
*************************

On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾
*************************
                     1
पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार। 
परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।। 
होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,
सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।
कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण, 
यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।
*************************   
                      2
गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल। 
इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।। 
जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना, 
निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना। 
कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा, 
करती भव से पार, सदा ही सबको  गंगा। 
*************************
                       3
जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार। 
है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।। 
सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में, 
वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में। 
कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग, 
निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग। 

*************************
बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032
*************************
मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित। 
          हरि स्मरण। 
*************************

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ