दिल्लगी में दिल का लगाना खराब है।
वैसे भी आजकल जमाना खराब है।।
तोड़ देते हैं लोग खुद शाख से पत्ते।
फिर कहते यह हैं कि तना खराब है।।
कल हुआ है भरी पंचायत में फैसला।
हीर तो बेगुनाह है ये राँझा खराब है।।
खेल कर जज्बातों से तेरा हाल पूछेंगे।
नियत इस कदर लोगों का खराब है।।
हर ऐरे गैरे के सामने यूँ राज ना खोलो।
ना जाने यहाँ किसका इरादा खराब है।।
हर कंधे सर रख रोया ना कर तू सुजित।
महफ़िल में यूँ मजाक बनना खराब है।।
@ सुजीत संगम
बाँका, बिहार
9534969572
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