मन्जिल की सोचो राह तो अनेक है।
सफल वही है जिसका लक्ष्य एक है।।
मुट्ठी भर नोट हेतु आत्मा मत बेचो।
पाता वही है जिसके उद्देश्य नेक है।।
लक्ष्य हेतु किसी को कभी भी तुम
भूल से भी ना गुमराह करना।
मदद करना उसका लक्ष्य पाने को
ना कि उसका मनोबल कम करना।।
यकीन नही हो तो झाँक के देख लो।
पाता जरूर है जो ततपर सदैव है।।
प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार
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