कवि निर्दोष लक्ष्य जैन जी द्वारा 'माटी का पुतला' विषय पर रचना

हमको भी यारों जाना , तुमको भी यारों जाना ,  
     तू माटी का है पुतला , माटी में है मिल जाना ॥ 

    कब किसको यारों जाना, ये कोई ना ठिकाना , 
    हमको भी यारों जाना , तुमको भी यारों जाना ॥ 

   कब किस के कंधे, किसका जनाजा है  जाना  , 
   ये कोई नहीँ जाना ,   ये कोई  नहीँ      जाना ॥ 

  जब मौत ने पुकारा '  कुछ भी ना काम आया , 
  मरते हुए कॊ यारों , कोई  ना    बचा    पाया ॥ 


   ये दौलत और अटारी , सब यहीं   रह जाना , 
   है खाली हाथ जाना  ,  है  खाली हाथ   जाना ॥ 

  ये बेटा , बेटी ,बीवी ,  कोई ना साथ      जाना , 
   अकेला निर्दोष आया  ,      अकेला  ही  जाना ॥ 

  तू माटी का पुतला  ,  माटी में  है मिल जाना , 
   मुठी बांधे  आया   ,  हाथ   पसारे    जाना  ॥ 

                निर्दोष लक्ष्य जैन 
                     धनबाद 6201698096

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