कवि दीपक अवस्थी जी द्वारा 'दोस्ताना' विषय पर सुंदर रचना

नही छूट सकता याराना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा
हो लाखो मीलों दूरियां तो क्या
दिल मे जिंदा हैं प्यार हमारा
न मिले हम तो कोई गम नही  
साथ है अपना  वर्षों  पुराना
नही छूट सकता याराना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा

बदल जाए दुनिया तो गम नही
एक साथ तेरा दुनियां से कम नही
बहुत याद आते है गुजरे हुए दिन
मेलो की बाते क़िताबों में गुलाबों के दिन
बड़ा खूबसूरत था वो जमाना हमारा
नही छूट सकता याराना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा

टूट जाये ये साँसे तो गम नहीं
टूटी दोस्ती तो मौत से कम नही
नजर आते है दो पर हम दो नही
एक दूसरे के बिन हम कुछ नही
नही छूट सकता याराना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा

दीपक अवस्थी

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