*झूठा आरोप*
झूठा आरोप जिंदगी में जहर घोल देता है ।।
सच्चे ईमानदार व्यक्तित्व को
आत्मग्लानि और आक्रोश से झकझोर देता है ...!!
अगर आरोप लगाया गया हो
चरित्र पर ..
तो पूरे परिवार के खुशनुमा माहौल को ..
सवालों के कटघरे में ढकेल देता है ।।।
असमंजस की स्थिति बन जाती है।।
प्रतिष्ठा व्यक्ति की धूमिल हो जाती है।।
निरअपराध होते हुए भी ताने सहने पड़ते हैं ।
हृदय आघात के भी निशाने सहने पड़ते हैं ।
हिम्मतवाला ही इस स्थिति से उबर पाता है ।
वरना पूरा परिवार तितर बितर हो जाता है ।
न्याय व्यवस्था ऐसी है ...
जब तक अदालत निर्दोष घोषित करती है ।
आरोपी जीवन को ही अलविदा बोल जाता है ।
भूलकर भी किसी पर
झूठा आरोप मत लगाइए ।।
ऊपरवाले की नजरों में गुनहगार ना बन जाइए ।।
उसकी लाठी में आवाज नहीं होती है ।
लेकिन जब भी पड़ती है ...
माँगने पर भी मौत नहीं मिलती है
मखाने फिक जाते हैं ..
परिवार सहित सड़क पर आ जाते हैं ।
झूठा आरोप लगाने वाले ...
मरने के बाद भी नहीं तर पाते हैं ।
मरने के बाद भी नहीं तर पाते हैं ।
लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी "मुस्कान" ©
सागर मध्यप्रदेश ( 25 अगस्त 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णतः स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार सुरक्षित है इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद🙏
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1 टिप्पणियाँ
हैलो एवरीवन हमारी लेखनी यदि आपको पसंद आती है तो कमेंट करके बताएँ और यदि कोई कमी लगती है तो भी बताएँ धन्यवाद लेखिका प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
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