पिताजी की सीख
पेशे से किसान हैं ।
एक बहुत अच्छा इंसान हैं ।
पर मेरे लिए तो भगवान हैं ।
अगर कोई पूछे मुझसे मेरा पता ।
तो मेरी पहचान है पिता..
इस लिए मेरे पिता जी महान है।
क्योंकि वे ना हिन्दू है,ना मुसलमान हैं ।
वो तो मेरा स्वाभिमान है ।
हँसाना मुश्किल रुलाना आसान है।
बेशकीमती उनकी मुस्कान है ।
पिता जी ने कहा मुझसे कि
ध्यान रखना पर्दे के भी कान होते है ।
मैंने पूछा पर वो तो बेजान होते हैं ?
उसके कैसे दो कान होते है ?
उसने कहा -बेटा अभी तू नादान है।
बहुत चीजों से अंजान है।
ना किसी की धरती ना किसी का आसमान है ।
सब का हक समान है ।
अगर थोड़ा-सा भी ईमान है।
पिता जी आप ही मेरे
हैं बाइबिल, गीता,कुरान रामायण,
मैं आपका नारायण ,नारायण .....
कवि
नारायण प्रसाद साहू
1 टिप्पणियाँ
Bne he
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