कवि ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम जी द्वारा 'आत्मबोध' विषय पर रचना

पटल को नमन
 विषय :-* आत्मबोध*

माया की चाहत में 
वैभव के रथ पर
मानव चलता रहता है।
अपने जीवन में 
अत्याचार अनाचार
 खूब करता रहता है।
 मानवता को  मार 
अहम को जिंदा रखता है।
 धीरे-धीरे जब
 पाप का घड़ा भरता है।
शक्ति वैभव धन 
सब क्षीणहो जाता है।
 बुरे वक्त में केवल
 मानव धर्म ही याद आता है।
 अपनी बुरी करनी पर
 जब  पछतावा होता है।
 तब ही होता है आत्मबोध ।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम कानपुर नगर

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ