कवयित्री राजश्री राठी जी द्वारा 'बेटियाँ' विषय पर रचना

'बेटियाँ'

     चंचल सी चहकती है 
      नाजुक सी होती है 
     जहां ईश्वर की रहमत होती है 
      उस घर की शोभा होती है बिटियां ।

        मासुम सी छवि लिए 
        घरभर में इतराती हुई प्यारी
        सी लगती है , कभी रूठती 
        तो कभी रूठे हुए को मनाती 
         दया का अथाह सागर होती है बिटियां ।

       पापा की चिंता प्रतिपल है करती 
        उनके लिए जहां से है लड़ती  
        अपनी  हर    इच्छा पूरी करवाती 
       पापा के दिल पर करती है राज बिटियां ।

      उदास जब कभी मुझे देख लेती 
      भीतर तक वो बेचैन हो जाती 
       बेटी जब गले लग जाती 
      खुशियां जहां की मुझे मिल जाती 
      प्यार के रंगों से दिल को सजाती है बिटियां ।

      बेटी   ईश्वर से मिला अनमोल उपहार 
       उसी से सजदे होते तीज और त्यौहार 
      पूण्य जब संचित हो जाता , खुश हो 
      विधाता भाग्य में रच देता है बिटियां ।

           राजश्री राठी

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ