सादर समीक्षार्थ
विषय - जीवन
विधा - कविता
जीवन है अद्भुत-सी पहेली
आसान न समझो इसे तुम
बहुत ही उलझी हुई सी है
किंतु फिर भी सबको है प्यारी..।।
जीवन एक, अनवरत संघर्ष है
जीवन भर ही, चलता रहता
साँसें जब तक, चलती रहती
इसका पहिया भी, चलता है..।।
जीवन किसका , कितना चलेगा
साँसें कब तक, साथ रहेंगी
कोई न जान पाया, कभी भी
कैसा यह जंजाल, रहस्य का..।।
जो रहते सदा, आशंकित से
जीवन उनका तो, दूभर होता
तूफानों से हैं, जो भिड़ जाते
जीवन उन्ही का,इतिहास बनता ..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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