कवि- आ. रविबाला ठाकुर जी द्वारा सुंदर रचना

पूर्वज

अपने सारे पूर्वजों को,
आओ मिलकर याद करें हम....

जिनके साथ बिताए हमनें,
सुख-दुख के सारे सुन्दर  पल।
एहसासों के मन मंदिर में,
बसे   सदा   हैं    हम   सबके।
आओ मिलकर...................

चौंक पूरें हम द्वार किनारे,
फूलों  से  फिर  उसे  सजाएँ।
पितृदेव का करें आवाहन,
जल से भरकर लोटा रख दें।
आओ मिलकर..................

श्रद्धा से जल अर्पण कर,
कर दें मन  को  शांत सरोवर।
धूप-दीप से घर महकाएँ,
नव  ऊर्जा भर  नैवेद्य लगाएँ।
आओ मिलकर...................

    रविबाला ठाकुर
स./लोहारा, कबीरधाम

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