कवि नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर जी द्वारा 'आशा' विषय पर रचना

1-जिंदगी एक संग्राम है आशा का परचम लहरा जिंदगी के कदमों के
निशाँ है।।

जीवन एक संग्राम है 
दुख ,दर्द ,धुप और छाँव है
आशा,निराशा रेगिस्तान और तूफ़ान है।।

आंसू ,गम ,मुस्कान है
शोला और शैलाभ है
जीवन में आस्था हथियार है
विश्वाश विजेता का व्यहार है।।

जिंदगी का होना  विजेता का
आशा का परचम लहरा
जिंदगी जवाँ ,जोश की शान है
जवां ,जज्बा जिन्दा जिंदगी
पहचान है।।

आशाओं की अवनि ,आरजू का आसमान नौजवान है 
आशाओं का परचम लहरा
वर्तमान की चुनौती कर रहा स्वर्णिम इतिहास का निर्माण है।।

जिंदगी के धुप ,छाँव का योद्धा
तपती रेगिस्तान के शोलो की अग्नि पथ को पथ विजय में बदलता अवरोध सारे तोड़ता आशा का परचम लहरा समय काल की जान की मान जिंदगी जिन्दा नौजवान है।।

2- नौजवान आशा का परचम लहरा--

 मर्द मूल्यों का ,दर्द का एहसास
 नहीं तमाम दर्दो को दामन में    समेटे लड़ता जिंदगी का संग्राम
आशा का परचम लहरा
दुनियां में रौशन नाज जिंदगी
नौजवान है।।

 तपिस के अंगार को शबनम की
बूँद में तब्दील कर दे सर्द के बर्फ
को अपनी ज्वाला से अंगार कर दे
वक्त को मोड़ दे आशा का परचम
लहरा निराशा को विश्वाश में बदलता  जिंदगी के जंग का जाँबाजनौजवान है।।

नज़रों में मंज़िल मकसद आंसू
भी मंजिलों का अंदाज़ है मंजिल
मकसद के कारवां का अकेला मुसाफिर ज़माना देखता चलता 
उसकी राह है हर हाल में अपनी
मकसद मंजिल की मुस्कान आशा
का परचम लहरा जिंदगी का अंदाज़ नैजवान् है।

अपने हद हस्ती को निर्धारित करता दुनियां के दामन की खुशियों का तरन्नुम तराना
आशा का परचम लहरा जज्बा
ज़माना की आन बान नौजवान
जिंदगी जहाँ में होने का वाहिद आगाज़।।

3--मुश्किलों का विजेता नौजवान आशा का परचम लहरा----

 हर जहमत से दो दो हाथ 
हर मुश्किल की माईयात उठाता
दुस्वारी की महामारी को दुकडे
टुकड़े करता अंधेरो की चाँदनी
सूरज चाँद आशा का परचम लहरा वक्त की अपनी इबारत
का नौजवान।।

तूफानों से लड़ता लडखडाती
कश्ती का मांझी उम्दा उस्ताद
जिंदगी के भंवर मैं नहीं उलझता
मझधार में मौके का पतवार आशा का परचम लहरा लहरों
को चीरता भवरों से निपटाता
जिन्दंगी का जांबाज नौजवान।।

जिंदगी वही जिन्दा हर सवाल
का रखता हो जबाब आई किसी
भी सूरते हाल से टकरा जाने की
मस्ती का माद्दा आशा का परचम
लहरा दिलों में बुझाते रोशनी का चिराग नौजवान।।

ना जज्बा ना जज्बात ना 
हिम्मत ना हौसलों की उड़ान
ना इरादे फौलाद हो ना अपने
वक्त कदमों की शान पहचान
मुर्दा उस जिंदगी को जान।।

जिन्दा जिंदगी हिम्मत की जागीर
हौसलो का नया आसमान इरादों
की बुलंद इबादत की इबारत आशा का परचम लहारा जिंदगी
का विजेता जहाँ में गुजने वाली
आवाज का नौजवान।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ