कवि दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" जी द्वारा 'बेटी' विषय पर रचना

बदलाव अंतरराष्ट्रीय-रा
दिनाँक-२७-९-२०२०
विषय-बेटी दिवस
शीर्षक-"वो बेटी कहलाती है"
जिस के हक में बाबुल की दुआएं होती है
वह बेटी कहलाती है
जिसके लिए माँ हरदम चिंतित रहती है
वह बेटी कहलाती है
जो बाप के दिल का टुकड़ा होती है
वह बेटी कहलाती है
जो माँ की ममता की पहचान होती है 
वह बेटी कहलाती है
जिसके लिए दरवाजे पर शहनाई बजती है
वह बेटी कहलाती है
जिसके चले जाने से आंगन सूना हो जाता है
वह बेटी कहलाती है
जो अंतरिक्ष में भी जा सकती है
वह बेटी कहलाती है
जो पर्वत की चोटी पर चढ़ जाती है 
वह बेटी कहलाती है
जो खेल के मैदान में भी देश का
झंडा बुलंद करती है
वह बेटी कहलाती है
जो थकती नहीं कभी काम से
वो बेटी कहलाती है
जो बाप की शान और माँ की मान होती है
वह बेटी कहलाती है
जिसके लिए अपने पराए हो जाते हैं 
वह बेटी कहलाती है
जिसके लिए पराए अपने हो जाते हैं 
वह बेटी कहलाती है
जो पहले बोझ  होती थी अब दुआ होती है
वह बेटी कहलाती है
"दिनेश" शब्दों के समूह से जो निकले 
वह कविता भी बेटी कहलाती है

दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
रचना मेरी अपनी मौलिक रचना है

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