कवयित्री गरिमा विनीत भाटिया 'ज़िंदगी का सफर' विषय पर रचना

नमन बदलाव मंच

जिन्दगी का सफर

जिन्दगी का सफर कितना सुहाना है 
जिन्दगी हर मोड़ पर गाती एक नया तराना है 
कभी हसाती कभी रुलाती जिन्दगी,तेरे कितने रंग है 
जाहिर इतने रंगो को जीने के अलग अलग ढंग है 
कभी थमती किसी तरुवर सी कभी भागती रेल है 
रुकती दौडती भागती जिन्दगी के निराले खेल है 
कभी उठती सुबह सी कभी ढलती शाम है 
जिन्दगी तुझे रचती या तेरी गढी एक आवाम है 
कभी महकती बगिया सी कभी उजडा चमन है 
मेरी जिन्दगी यू ही गुजरती जा  तुझे शत शत नमन है
 
गरिमा विनित भाटिया 
अमरावती महाराष्ट्र 
garimaverma550@gmail.com

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