कवि डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा रचना “नवरात्रि"

सादर समीक्षार्थ
 विषय     -          नवरात्रि


 नवरात्रि में तुम, घर आओ
 नव रूप धर, माँ तुम आओ
 कष्टों से तुम, मुक्त कराओ
 अखंड दीप का, मान बढ़ाओ..।।

 हे माँ ! धरा पर, तुम आ जाओ
 जीवन सार्थक, तुम कर जाओ
दुख सभी के तुम, हर जाओ
खुशियाँ सभी को, दे जाओ..।।

 विश्व पर भारी, संकट आया
 मन सबका है, बड़ा घबराया
 उपाय न कोई, सूझ रहा है
 घना अंधकार, छा गया है..।।

 त्राहिमाम सब, कर रहे हैं
 तुमको ही अब, पुकार रहे हैं
 स्वरूप अपना, विशाल करो
माँ निराशा, सबकी दूर करो..।।



  डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल 
उत्तराखंड

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