कवयित्री शालिनी कुमारी जी द्वारा रचना “तुम्हारा ख़्याल”

मंच को नमन 

विषय : तुम्हारा ख़्याल 
विधा : कविता 

 मन में तुम्हारा ख्याल, जैसे~~
 आच्छादित थी पावनता 
 सौम्यता, संवेदना औ शालीनता
 करती थी मुझ पर अधिकार जैसे..!

 चहूँ ओर हजारों पुष्प खिले ~~
 विभिन्न रंगों से हैं वो सजते 
झील सरीखे कमल नयनों में 
शांत सरोवर मन ये उलझें.. !

उठा जज्बातों का समंदर, जैसे ~~
ढूंढ रहा हो किनारा 
रेतीली हवाएं भी मानो 
चाह रही आलिंगन जैसे.. !

झाँक रही चाँद की शीतलता, जैसे ~~
हिरदय - मुकुल की अनुरंजित चेतना 
कुम्हलाए से मुख पर बिख़री 
पूर्णिमा की चाँदनी हो जैसे.. !

हाँ, मन में तुम्हारा ख़्याल जैसे ~~
आच्छादित थी पावनता 
सौम्यता, संवेदना औ शालीनता 
करती थी मुझ पर अधिकार जैसे !!
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        शालिनी कुमारी 
   शिक्षिका सह बदलाव मंच ईस्ट ज़ोन अध्यक्षा 
   मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार)
  (स्वरचित अप्रकाशित रचना )

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