*माँ ब्रह्मचारिणी*
*ब्र* ब्रह्मांड की स्वामिनी
*म्हा* मन हमारा बहुत अधीर
हर्षित आपके आगमन पर
*चा* चाह हमारी गाएं भक्ति गीत
*रि* रिश्ता आपसे बहुत अनोखा
*णी( नी)* नंदिनी पधारो देने ज्ञान
कलयुगी मानवों को
न बोये
दिलों में नफरतों के बीज
सतीश लाखोटिया
0 टिप्पणियाँ