बदलाव मंच अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय(साप्ताहिक प्रतियोगिता (09/10/ 2020 से 13/10/2020)
(प्रतियोगिता हेतु मेरी मौलिक एवं स्वरचित रचना)
विधा- कविता
शीर्षक- ए. पी. जे.अब्दुल कलाम
यदा-कदा होता होगा..
सदी -शताब्दियों में ऐसा लेक़िन..
सरल सहज ह्रदय का इंसा... अंत समय तक गतिज रहा ....
जीवन ऐसा की उपलब्धियां हों.. गौरवान्वित उनसे लग के ....
वह भारत पुत्र सब कुछ पाकर. लौटाता हमें... परलोक चला ...
पद -शक्ति- मान और सम्मान... सब प्रतिभा के आगे पढ़े मध्यम .
ऐसे करिश्माई व्यक्तित्व वाला.. जीवन पर्यंत सहज रहा ......
जग में ऐसे विरले होंगे ....
जो नायक होंगे देश के ....
ऐसे धरती सुपुत्र के लिए .... भारत भूमि अब भी रोती रही ..
ज्योत्सना झा ..
गोड्डा झारखंड
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