कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना “गांधी जी, अहिंसा और प्रेम एवं जय जवान जय किसान"

बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मंच को नमन

  गांधी जी, अहिंसा और प्रेम
              एवं
  जय जवान जय किसान

संपूर्ण विश्व गाता है बापू शास्त्री जी का गान
सत्य अहिंसा के बल पर आजाद किया हिंदुस्तान
जय जवान जय किसान का नारा अमर हुआ
भारत का कण-कण करता आज आपका सम्मान

भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री बने शास्त्री विद्वान
तन मन धन सब अर्पण किया देश को दान 
कर्म निष्ठा ईमानदारी का अनुपम पाठ पढ़ाया
सत्य वचन का पालन का दिया आपने ज्ञान

मरो नहीं मारो का नारा दिया आपने
दांडी यात्रा में बढ़ चढ़कर भाग लिया आपने
भारत छोड़ो आंदोलन का किया आपने सम्मान
भारत रत्न से हुए अलंकृत शास्त्री आप महान

अपने कार्यकाल में भारतीय सेना का बढ़ाया संभल
ताशकंद समझौते मैं हस्ताक्षर कर न देखा कल
विजय घाट पर बनी समाधि बनी 
गाती आपका गान
पूरा विश्व करता आज भारत  का गुणगान
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है
        भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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