कवि के.जे.गढवी जी द्वारा रचना “तेरा प्यार"

शीर्षक-'तेरा प्यार'

तेरे प्यार का जब से पता चला
तू जिदगी है तुझे जीता चला

तेरी अंगडाई से लडखडाया मैं।
तेरे नयनों की मदिरा पीता चला।।

सफर में तेरे होने का कमाल रहा
में खडा रहा और रास्ता चला

तूझे देखकर लोग चाँद को भूल गए
चाँद ज़मीं के चाँद को देखता चला

तू चली तो साथ तेरे जमाना चला। 
आप ठहरे तो वक्त भी रूकता चला।।

आप मुस्कुराए तो फूल खीले।
झोंका हवा का गीत गाता चला।।

के.जे.गढवी

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